Not known Details About श्री मधुराष्टकम् स्तोत्र

चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥

श्री कृष्ण, श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनक कार्य मधुर है, उनका तारना, दुखो से उबरना मधुर है। दुखो का हरण मधुर है। उनका रमण मधुर है, उद्धार मधुर है और शांति भी अति मधुर है।

श्री हरि नाममाला स्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित

“अधर्म मधुरम” एक सर्वप्रिय भारतीय भक्ति गीत है जो विशेष रूप से हिंदू परंपरा के संदर्भ में भगवान जनार्दन की स्तुति में रचा गया है।यह गीत भगवान कृष्ण के दिव्य गुणों का उल्लेखित करता है और इस विचार पर प्रकाश डालता है कि चुनौतियों, कठिनाइयों, या अधर्म (अधर्म) के बीच भी, उन लोगों के लिए मिठास और कृपा मौजूद है जो परमात्मा की शरण चाहते हैं।

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव मंत्र लाभ 

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।

गोपी मधुर आहेत, लीला मधुर आहे, संयोग मधुर आहे, भोग more info मधुर आहेत, निरीक्षण मधुर आहे, शिष्टाचार मधुर आहे. मधुराधिपतीचे सर्वच मधुर आहे. ॥ ७ ॥

श्रीमदभागवत में वर्णित नागपत्नीकृतकृष्णस्तुति

मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं लिरिक्स रोज़ सुनने से दिन के हर काम पुरे होंगे और शांति मिलेगी

रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ..

દલિતં મધુરં ફલિતં મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૮॥

श्रीराम देशिक प्रशिक्षण केंद्र एक धार्मिक शिक्षा संस्थान है जो भागवत कथा, रामायण कथा, शिव महापुराण कथा, देवी भागवत कथा, कर्मकांड, और मंत्रों सहित विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करता है।

मधुराष्टकम एक स्तोत्र है जिसमें अद्वितीय भगवान कृष्ण की मधुरता का वर्णन किया गया है जिसका प्रभाव सम्पूर्ण संसार में विस्तृत है।मधुराष्टकम मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया था और इसे समझना आसान है। भगवान कृष्ण के सुंदर पहलुओं और उनके सुंदर रूप का वर्णन करने के लिए कविता में केवल एक विशेषण “मधुरम” का प्रयोग हुआ है। जिसका अर्थ है – मिठास या सुंदरता। भगवान कृष्ण को इस भजन के माध्यम से श्री कृष्ण को मधुरता के स्वामी के रूप में बताया गया है।

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